हेलो दोस्तों ,आज हमारी पास speed से गिनती करने के लिए और माहिती लेनेके लिए या संग्रह करने के लिए कंप्यूटर हे। कम्प्यूटर की शोध से पहले अन्य छोटे बड़े यंत्र और मशीनो शोधये थे। लेकिन ये सब नहीं था तब भी मनुष्य गिनती और अभ्यास करते ही थे। विश्व का प्रथम कम्प्यूटर मानव खुद ही था। आज में आपको प्राचीन समय की गिनती कैसे होती थी उसके बारे में बताउगा और टोडरमल की जमीन महसूल पद्धति के बारे में बताउगा।
• प्रचीन काल में कैसे होती थी गिनती।
⇒प्राचीन काल में इजीप्ट एक से नो अंको को सन्तभ से और दस की संख्या को नलाकार से दर्शाती थी।⇒ एक पद्धति की शरुवात इसु की पहली सदी में भारत में हुवी थी। इस पद्धति में गिनती के लिए गेहू के दाने और छिपला का उपयोग होता था।
⇒ सन 300 के अरसे में बेबीलोन में लोगो सफ़ेद या तो काले पत्थर को कतार में लगाकर गिनती करते थे।
⇒ मानव के दो हाथो के दस ऊँगली को आधार बनाकर गिनती की पद्धति अम्ल में आयी। इसके भी पहले लोगो ऊँगली के पेढ़े गिनकर गिनती करते थे।
⇒ गिनती करने का प्रथम साधन अबासक था ये यंत्र में दस मनके होते हे। आज भी ये यंत्र बहुत ही मायने रखता हे। इसके उपयोग से कॉम्पुटर से भी तेज गिनती हो सकती थी।
⇒ सन 1617 ज्होन नेपियर ने यांत्रिक गणन यंत्र की शोध की इसके बाद विविध केलसी और कम्प्यूटर का विकास हुवा। ये विकास में बिजली की शुद्ध का बहुत ही बड़ा योगदान रहा हे।
⇒ आज बिजली और चुम्बकीय शक्ति से इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों में बहुत ही विकास हुवा हे।
• टोडरमल की जमीन महसूल पद्धति जो आज भी अमल में हे।
⇒ किंग टोडरमल प्रभाव शाली योद्धा , काबिल वहीवट करता थे और अद्वितीय नाणापरथान थे। इसका समावेश अकबर के नव रत्नो में भी था। अकबर के दरबार में इसका स्थान बहुत ही बड़ा था।
⇒ राजा टोडरमल ने महसूल पद्धति शोध निकली थी। इसके कारन सन 1582 में टोडरमल को दीवान - ए - अशरफ का ख़िताब भी मिला था।
⇒ राजा टोडरमल उतर प्रदेश के क्षत्रिय परिवार में जन्मा था। उसने अकबर के दरबार में कारकुन के रूप में नौकरी ली थी। अकबर इसकी वहीवटी पद्धति को देखकर प्रभावित हुवा था। और उसको वजीर बनाया।
⇒ जब वो नाणाप्रधान बने तब महसूल पद्धति ऐसे तर्कबुद्ध सुधरे किया की पाक अचछा हो तो महसूल इसके
हिसाब से भरना और कम हो तो महसूल कम भरना होगा।
⇒ अगर पाक निष्फल हो जाता हे। तब राज्य की तिजोरी में से खेडूत को वलतर मिलता हे।
⇒ ये पद्धति बाद में ब्रिटिशो ने भी अपनाई और इसके बाद अपनी सरकार ने भी यह पद्धति अपनाई हे।
⇒ टोडरमल ने ये भी कहा हे की शाही काम-काज के लिए एक भाषा होनी चाहिए और भाषा पर्शियन रखनी , जिससे सब लोग समज सके।
⇒ राजा टोडरमल निधन सन 1659 में हुवा था।
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