हेलो दोस्तों , आपको तो पता ही होगा आँख के बिना हमारा जीवन बहुत हाड़मारी भार्या जाता हे। हमारी आँख केमेरा की तरह बहार की चीजों का प्रतिबिम्ब लेकर मगज को संदेसा देता हे ये बहुत सामान्य हे। आज आपको आँख की रचना के अग्रणी संशोधक अलवर गुलस्ट्रांड की बारे में बताउगा।
⇨ आँख में स्थित कॉर्निया आँख का बहुत ही मुख्य अवयव हे। और उसमे से पसार होते हुवे प्रकाश के किरणों की आंतरिक गतिविधि की समज अलवर गुलस्ट्रांड नामक वैज्ञानिक ने दी थी।
⇨ कॉर्निया के बारे में संशोधन के लिए उनको सन 1911 में मेडिकल का नोबेल पुरस्कार मिला था। नोबेल पुरस्कार लेनार वो विश्व के एक मात्र आँख के डॉक्टर हे।
⇨ मोतिया की सर्जरी के बाद पहरने पड़ते चश्मे का संशोधन भी उसने ही किया था।
⇨ एक रसप्रद बात ये हे की इस वैज्ञानिक को आइंस्टाइन की थियरी की नजदीक की थियरी पे भी शंका थी इस के चलते आइंस्टाइन को जो नोबेल पुरस्कार मिलने वाला था वो नहीं मिला।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड का जन्म स्वीडन के लैंड्सक्रोना नामक गांव में सन 1862 के जून महीने की 5 वि तारीख को हुवा था।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड के पिता स्थानिक मौनसिपाल्टी के मुख्य डॉक्टर थे।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड ने स्थनिक शाला करके उच्च शिक्षण लेनेके लिए उप्सला युनिवेर्सिटी में जुड़ा। उसको आँख की रचना में बहुत ही रस था।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड आँख के अब्यास के लिए विएना गए और इसके बाद स्टॉक होम की सेराफ़िल अस्पताल में आँख के निष्णात डॉक्टर के रूप जुड़ा।
⇨ सन 1890 में एस्तिदमेशन की थियरी लिखी p.h.d की डिग्री ली।
⇨ सन 1891 में केरोलिक्सा युनिवेर्सिटी में प्रोफ़ेसर के रूप में जुड़ा साथ में ही स्वीडिश नेशनल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ में भी सेवा देते रहे
⇨ सन 1894 में फिर से उप्सला युनिवेर्सिटी में प्रोफ़ेसर के रूप में जुड़ गए। अलवर गुलस्ट्रांड के लिए बहुत ही गौरव लेने जैसी बात थी ।
⇨ आँख में स्थित कॉर्निया आँख का बहुत ही मुख्य अवयव हे। और उसमे से पसार होते हुवे प्रकाश के किरणों की आंतरिक गतिविधि की समज अलवर गुलस्ट्रांड नामक वैज्ञानिक ने दी थी।
⇨ कॉर्निया के बारे में संशोधन के लिए उनको सन 1911 में मेडिकल का नोबेल पुरस्कार मिला था। नोबेल पुरस्कार लेनार वो विश्व के एक मात्र आँख के डॉक्टर हे।
⇨ मोतिया की सर्जरी के बाद पहरने पड़ते चश्मे का संशोधन भी उसने ही किया था।
⇨ एक रसप्रद बात ये हे की इस वैज्ञानिक को आइंस्टाइन की थियरी की नजदीक की थियरी पे भी शंका थी इस के चलते आइंस्टाइन को जो नोबेल पुरस्कार मिलने वाला था वो नहीं मिला।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड का जन्म स्वीडन के लैंड्सक्रोना नामक गांव में सन 1862 के जून महीने की 5 वि तारीख को हुवा था।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड के पिता स्थानिक मौनसिपाल्टी के मुख्य डॉक्टर थे।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड ने स्थनिक शाला करके उच्च शिक्षण लेनेके लिए उप्सला युनिवेर्सिटी में जुड़ा। उसको आँख की रचना में बहुत ही रस था।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड आँख के अब्यास के लिए विएना गए और इसके बाद स्टॉक होम की सेराफ़िल अस्पताल में आँख के निष्णात डॉक्टर के रूप जुड़ा।
⇨ सन 1890 में एस्तिदमेशन की थियरी लिखी p.h.d की डिग्री ली।
⇨ सन 1891 में केरोलिक्सा युनिवेर्सिटी में प्रोफ़ेसर के रूप में जुड़ा साथ में ही स्वीडिश नेशनल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ में भी सेवा देते रहे
⇨ सन 1894 में फिर से उप्सला युनिवेर्सिटी में प्रोफ़ेसर के रूप में जुड़ गए। अलवर गुलस्ट्रांड के लिए बहुत ही गौरव लेने जैसी बात थी ।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड अनेक अंतर्राष्ट्रीय विज्ञानं संस्था का सभ्य था और रॉयल सोसाइटी उप्साला का सभ्य बना और स्वीडिश एकेडेमी ऑफ़ विज्ञानं का सभ्य बना।
⇨ अलवर गुलस्ट्रांड नोबेल फिजिक्स कमिटी का चेरमेन था।
⇨ उसने अपने पूरा जीवन आँख के संशोधन करके मानव सेवा की।
⇨ सन 1938 के जुलाई महीने के 28 तारीख को उनका दुखद निधन हुवा था।ऐसे वैज्ञानिक को सलाम हे जो दौरान मानव सेवा की।
हमारी उपयोगी आँख की रचना के संशोधक अलवर गुलस्ट्रांड के बारे में जानना आपको बहुत ही पसंद आया होगा अगर आपको पसंद आयी ये बात तो अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये।
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